लेखनी प्रतियोगिता -23-Dec-2022
हुस्न की खातिर उसने प्यार ठुकराया
जिंदगी की खातिर मौत को अपनाया
बढ़ के आगे उसने अमन का हाथ थाम
युद्ध विराम का आगाज कराया
अपने लोगों को वो उस कहर से निकाल लाया
जीवन देने वाले जीवनदाता की तरह
वो स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम इतिहास में लिखाया
जय भारत जय हिंद के नारों से अंबर भी गुंजाया
वही भारत मां का असली सपूत कहलाया
जंग जीत के उसने जब रणभेरी में विजय का बिगुल बजाया
हस हस के जिसने हर बार मौत को हरा दिखाया
हुसन की खातिर जिसने प्यार ठुकराया
देश की खातिर जिसने अपना सर्वस्व भुलाया
नमन है ऐसे वीर को जिसने अपना मां की खातिर
अपनी जान दे के अपना कर्ज चुकाया
सीताराम साहू 'निर्मल'
29-Dec-2022 04:46 PM
बेहतरीन
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Sachin dev
24-Dec-2022 06:39 PM
Well done ✅
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Punam verma
24-Dec-2022 09:41 AM
Very nice
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